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Showing posts from August, 2023
"सम्मान निधि" माँ- तुम भी न ...यह क्या पिताजी की जरा सी 12000 रुपये की पेंशन के लिए इतना माथापच्ची कर रही हो....अरे!! इससे ज़्यादा रुपये तो हम तनख्वाह के रूप में एक कर्मचारी को दे देतें हैं.. मोहित चिढ़कर अपनी माँ के साथ स्टेट बैंक की लंबी कतार में लगने की बजाय, माँ को घर वापस घर पर ले जाने के लिए आग्रह करने लगा। वैसे मोहित ने सच ही कहा था, करोड़ों का बिजनेस था उनका, लाखों रुपये तो साल भर में यूँ ही तनख्वाह और भत्ते के नाम पर कर्मचारियों पर निकल जाते हैं, फ़िर मात्र 12000 रुपये प्रतिमाह की पेंशन पाने के लिये, स्टेट बैंक की लम्बी कतार में खड़े होकर पेंशन की औपचारिकता पूर्ण करने के लिये इतना समय व्यर्थ करने का क्या औचित्य ?? मोहित के पिता विशम्भरनाथ जी का निधन पिछले माह ही बीमारी की वजह से हुआ था, वह लगभग 12 वर्ष पूर्व एक सरकारी स्कूल में प्राध्यापक पद से रिटायर हुये थे , तब से उनके नाम पर पेंशन आया करती थी, विशम्भर नाथ जी मृत्यु के उपरांत "आधी पेंशन" उनकी पत्नी सरला जी को मिलने का शासकीय योजना के अनुसार प्रावधान था, जिसके लिये सरला आज स्टेट बैंक में अपने बेटे मोहित के सा...